नमस्कार दोस्तोंसेतुबंधासन ( Setu Bandhasana )
दोस्तों आज हम बात करने वाले है सेतुबंधासन के बारे में जो बहुत ही महत्वपूर्ण आसन है। सेतुबंधासन दो शब्दो के मेल से बना है ( सेतु + बंध ) सेतु का अर्थ होता है पुल या बांध तथा बंध का अर्थ होता है बाँधना। इस आसन में आप अपने शरीर को एक सेतु की मुद्रा में बाँध कर रखते है। जिस कारण इस मुद्रा का नाम सेतुबंधासन पड़ा है। जिससे हमारी रीढ़ की हडडी मजबूत होती है तथा छाती,कमर कंधे में खिचाव आता है।
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सेतुबंधासन को करने का तरीका:-
1. सेतबंधासन करने के लिए सबसे पहले साफ़ सुथरी जगह का चयन करें और अपना आसन लगाए।
2. अब आसन पर कमर के बल सीधा लेट जाए। तथा अपने बाजुओं को धड़ के साथ सीधा रखें।
3. अब अपने घुटनों को मोड़ते हुए अपनी टांगों को कुहले की तरफ पीछे लाए।
4. अब हाथों पर वजन डालते हुए कमर और कुहले को ऊपर की तरफ उठाए।
5. कुह्ले को ऊपर की तरफ उठाते हुए स्वास अंदर ले।
6. अपने हाथो को जोडले और कुह्ले को अपनी समता के अनुसार जितना उठा सकते है उठाए।
7. इसी मुद्रा में 10 से 15 सेकण्ड रहे। फिर कुह्ले को वापिस जमीन पर टिकाए। और स्वास को छोड़े।
8. इस आसन को आप अपनी समता के अनुसार 4 या 5 बार कर सकते है।
सेतुबंधासन करने के फ़ायदे :-
1. सेतुबंधासन करने से रीढ़ की हडडी मजबूत होती है।
2. इसे करने से पाचन शक्ति में सुधार आता है
3. इसे करने से छाती, गर्दन,कंधे में खिचाव आता है।
4. पीठ की मासपेशियों को आराम देता हैं।
5. उच्च रक्त चाप, अस्थमा, ऑस्टियोपोरोसिस व साइनस के लिए लाभदायक।
6. फेफड़ों को खोलता है और रक्त का शुद्धिकरण करता है।
सेतुबंधासन करते समय सावधानियाँ :-
1. अगर किसी व्यक्ति को कमर की चोट या गर्दन की चोट हो तो उसे यह आसन नहीं करना चाहिए।
2. अगर किसी की रीढ़ की हडडी का ताज़ा ताज़ा ऑपरेशन हुआ हो तो इस आसन से परहेज़ रखें।
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